धन के स्रोत
आंतरिक उपचयन बाजार उधार तथा अंतर्राष्ट्रीय सहायता समेत भारत सरकार से आबंटन ।जिन उद्देश्यों हेतु सहायता दी जाती है
- कार्यशील पूंजी वित्त जुटाने हेतु मार्जिन मनी (100% ऋण)
- समितियों के अंशपूंजी आधार का सुदृढीकरण (100% ऋण)
- क्षेत्रीय/राज्य स्तर के विपणन संघों को कार्यशील पूंजी (100% ऋण)
- गोदामों, शीत भंडारों, उपस्कर वित्तपोषण, परिवहन वाहनों, नावों की खरीद एवं अन्य ठोस आस्तियों जैसी ढांचागत सुविधाओं के सृजन हेतु आवधिक ऋण ।
- नए कृषि प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना, आधुनिकीकरण/ विस्तारण/ पुनर्स्थापन/ विविधीकरण हेतु अवधिक एवं निवेश ऋण
- परियोजना रिपोर्टों/व्यवहार्यता अध्ययनों आदि की तैयारी हेतु सब्सिडी
स्वीकृति की प्रक्रिया/ सहायता का संवितरण
रा.स.वि.नि. की सहायता वैयक्तिक लाभोन्मुखी न होकर सहकारिताओं के संस्थागत विकास के निहितार्थ है । रा.स.वि.नि. राज्य सरकारों के प्रयासों को सम्पूरित करता है । राज्य सरकारें निर्धारित स्कीम प्रपत्र में वैयक्तिक समिति/परियोजना के प्रस्तावों की संस्तुति करते हुए रा.स.वि.नि. को भेजती हैं। समिति निर्धारित शर्तो को पूरा करके सहायता की विभिन्न स्कीमों के अंतर्गत परियोजनाओं हेतु प्रत्यक्ष धन प्राप्त कर सकती है । प्रस्तावों की जांच-पड़ताल संबंधित कार्यात्मक प्रभागों में की जाती है और यदि आवश्यक हो तो स्थल मूल्यांकन किया जाता है । तत्पश्चात राज्य सरकार/समिति को धन की औपचारिक स्वीकृति संसूचित की जाती है । धन की विमुक्ति कार्यान्वयन की प्रगति तथा प्रतिपूर्ति के आधार पर निर्भर करती है । ऋण को वापिस करने की अवधि 3 से 8 वर्ष के बीच होती है । ब्याज की दरें समय-समय पर भिन्न-भिन्न होती हैं ।