उत्पत्ति एवं कार्य

उत्पत्ति

राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (रा.स.वि.नि.) की स्थापना वर्ष 1963 में संसद के एक अधिनियम द्वारा सहकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक संविधिक निगम के रुप में की गई थी ।

कार्य

कृषि उत्पादों, खाद्यान्नों, कुछेक अन्य अधिसूचित वस्तुओं अर्थात उर्वरकों, कीटनाशियों, कृषि मशीनरी, लॉक, साबुन, मिट्टी के तेल, वस्त्र, रबड़ आदि के उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन, भंडारण, निर्यात तथा आयात के कार्यक्रमों का नि‍योजन, संवर्धन तथा वित्त पोषण करना, सहकारिताओं के माध्यम से उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति करना तथा कुक्कुटपालन, डेरी, मछलीपालन, कोशकीटपालन, हथकरघा आदि जैसे आय सृजि‍त करने वाले कार्यकलापों के अलावा लघु वनोपजों के एकत्रण, प्रसंस्करण, विपणन, भंडारण तथा निर्यात करना ।

रा.स.वि.नि. अधिनियम में आगे संशोधन किया गया जिससे विभिन्न प्रकार की सहकारिताओं को सहायता देने हेतु नि‍गम के कार्यक्षेत्र का वि‍स्‍तरण हुआ तथा इसके वित्तीय आधार का वि‍स्‍तारण हुआ । रा.स.वि.नि. अब ग्रामीण औद्योगिक सहकारी क्षेत्रों तथा जल संरक्षण, सिचाई तथा लघु सिचाई, कृषि- बीमा, कृषि-ऋण, ग्रामीण स्वच्छता, पशु स्वास्थ्य आदि जैसी ग्रामीण क्षेत्रों की कुछेक अधिसूचित सेवाओं हेतु परियोजनाओं का वित्तपोषण कर सकता है ।

प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर की सहकारी समितियों का वित्तपोषण करने हेतु राज्य सरकारों को ऋण तथा अनुदान दिए जाते हैं तथा एक राज्य से बाहर व्‍यवसाय करने वाली राष्ट्रीय स्तर की तथा अन्य समितियों को सीधे ऋण तथा अनुदान दिए जाते हैं । निगम अब निर्धारित शर्ते पूरी करने पर अपनी सहायता की विभिन्न स्कीमों के अंतर्गत परियोजनाओं को प्रत्यक्ष वि‍तपोषण भी कर सकता है ।

संगठन एवं प्रबंधन

निगम की नीतियों तथा कार्यक्रमों का नि‍र्माण करने के लिए निगम का प्रबंधन एक व्यापक प्रतिनिधित्व वाली 51 सदस्यीय सामान्य परिषद   [पीडीएफ, हिंदी, 21KB]में तथा दिन-प्रतिदिन के कार्यकलापों को निष्पादित करने के लिए एक 12 सदस्यीय प्रबंध मंडल   [पीडीएफ, हिंदी, 37KB]में निहित है । अपने प्रधान कार्यालय के अलावा रा.स.वि.नि. अपने 18 क्षेत्रीय/राज्य निदेशालयों के माध्यम से कार्य करता है । प्रबंध निदेशक मुख्य कार्यपालक हैं । विभिन्न कार्यात्मक प्रभाग कार्यक्रमों के कार्यो की देखरेख करते हैं । क्षेत्रीय कार्यालय, परियोजनाओं की पहचान करने/परियोजना की तैयारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा इसके कार्यान्‍वयन की निगरानी करते हैं । परि‍योजनाओं की पहचान करने/तैयार करने और उनका सफल कार्यान्‍वयन करने में सहकारि‍ताओं की सहायता करने हेतु रा.स.वि‍.नि‍. सहकारि‍ता, संगठन एवं पद्वति‍, वि‍तीय प्रबंधन, प्रबंध सूचना प्रणाली, चीनी, तेलहन, वस्‍त्र, फल एवं सब्‍जी, डेरी, कुक्‍कुटपालन एवं पशुधन, मत्‍स्‍यपालन, हथकरघा, सि‍वि‍ल इंजीनि‍यरिंग , रेफ्रीजरेशन एवं प्रि‍जर्वेशन के क्षेत्रों में इन हाऊस तकनीकीय और प्रबंधकीय सक्षमताओं से सुसजि‍त है ।